भारत आज जिस रफ्तार से विकास की और दिशा में बढ़ रहा है, उसमें उत्तर प्रदेश ने अपने आप को एक नए औद्योगिक केंद्र के रूप में स्थापित कर दिया है। कभी उत्तर प्रदेश खेती-किसानी तक सीमित समझे जाने वाला यह यु पी राज्य अब फूड प्रोसेसिंग उद्योग का पावरहाउस बन चुका है।
योगी सरकार की नई औद्योगिक नीतियाँ, निवेश आकर्षण योजनाएँ और किसानों को बाजार से जोड़ने की पहल ने प्रदेश की अर्थव्यवस्था में को नई दिशा दी है।यूपी का फूड प्रोसेसिंग सफर - खेत से फैक्ट्री तक
उत्तर प्रदेश पारंपरिक रूप से कृषि प्रधान प्रदेश रहा है। गेहूं, चावल, आलू, गन्ना और दालों का उत्पादन यहां बड़ी मात्रा में पहले से ही होता है। लेकिन पहले इन फसलों का अधिकतर हिस्सा कच्चे रूप में ही अन्य राज्यों या विदेशों में भेजा जाता था।अब हालत बदल गए हैं - सरकार ने किसानों को प्रोत्साहित किया है कि वे प्रोसेसिंग यूनिट्स लगाएं या निजी निवेशकों के साथ मिलकर स्थानीय स्तर पर मूल्यवर्धन करें।
अब प्रदेश में लगभग 65,000 फूड प्रोसेसिंग यूनिट्स कार्यरत हैं, और हर जिले में औसतन 1000 से अधिक नई इकाइयाँ स्थापित करने का लक्ष्य रखा गया है।
विकास की रीढ़ बनीं सरकारी नीतियाँ
फूड प्रोसेसिंग को बढ़ावा देने के लिए उत्तरप्रदेश सरकार ने कई योजनाएँ शुरू की हैं -- उत्तर प्रदेश फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री पॉलिसी 2023 के तहत भूमि उपलब्धता, बिजली छूट और टैक्स में छूट दी जा रही है।
- ODOP यानि के One District One Product योजना ने हर जिले की पहचान वाले उत्पादों को नई पहचान दी - जैसे आगरा का पेठा, बनारस की लस्सी, बरेली का अचार या कानपुर की ब्रेड आदि।
- साथ ही, “माइक्रो-फूड प्रोसेसिंग क्लस्टर्स” बनाकर छोटे किसानों और उद्यमियों को संयुक्त रूप से आधुनिक तकनीक दी जा रई है।
किसानों के जीवन में बदलाव
अब से पहले किसान केवल फसल बेचकर ही कमाई करते थे, लेकिन अब वे मूल्य संवर्धन का हिस्सा बन रहे हैं।उदाहरण के तौर पर -
- आलू उत्पादक किसान अब फ्रेंच फ्राइज़, चिप्स, स्टार्च और फ्लेक्स के उत्पादन में भागीदार रहेंगे।
- गन्ना किसान जैव-ईंधन एथेनॉल से अतिरिक्त आय कमा रहे हैं।
- फल और सब्ज़ी उत्पादक किसान अब जैम, जूस, पल्प और अचार बनाकर सीधे बाजार तक जा रहे हैं।
नया दौर - निवेश और रोजगार
उत्तर प्रदेश आज देश के सबसे बड़े निवेश केंद्रों में से एक राज्य बन गया है।ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिति 2025 में, फूड प्रोसेसिंग सेक्टर में ही ₹35,000 करोड़ से अधिक निवेश प्रस्ताव आए।
कई बड़ी कंपनियाँ जैसे ITC, Patanjali, PepsiCo, Britannia और Nestlé ने अपने संयंत्रों का विस्तार करने की घोषणा भो की है।
इनसे लाखों लोगों को रोजगार मिलने की संभावना है - जिनमें बड़ी संख्या ग्रामीण और महिला श्रमिकों की है।
तकनीकी सुधार और कोल्ड स्टोरेज क्रांति
किसानों की सबसे बड़ी समस्या होती थी की उत्पादों का खराब होना।अब राज्य में 2500 से अधिक कोल्ड स्टोरेज यूनिट्स बनाए गए हैं, जो सब्ज़ियों, फलों और डेयरी उत्पादों को लंबे समय तक सुरक्षित रख सकते हैं।
साथ ही, AI और IoT आधारित सेंसर तकनीक का उपयोग कर उत्पादन और स्टोरेज की निगरानी हो रही है।
इससे नुकसान में कमी हुई है जो की अच्छी बात है और उत्पाद की गुणवत्ता बनी रहती है।
ग्रामीण उद्योगों की नई पहचा
छोटे कस्बों और गाँवों में अब मिनी-फूड-प्रोसेसिंग यूनिट्स लग रही हैं।महिला स्वयं सहायता समूह भी इस क्षेत्र में आगे आए हैं - वे अब पैकेज्ड पापड़, अचार, मुरब्बा और मसाला आदि तैयार कर रही हैं।
इससे ग्रामीण क्षेत्रों की अर्थव्यवस्था को ताकत मिली है और महिलाओं की आर्थिक स्वतंत्रता भी बढ़ी है।
भविष्य की दिशा - 2030 तक क्या लक्ष्य है?
उत्तर प्रदेश सरकार ने 2030 तक का रोडमैप तैयार किया है,जिसमें मुख्य लक्ष्य हैं:
- 1.5 लाख नई फूड प्रोसेसिंग इकाइयाँ स्थापित करना।
- और 10 लाख से अधिक नए रोजगार सृजित करना।
- व हर जिले में “फूड पार्क” बनाना।
- कृषि-आधारित MSMEs को ग्लोबल सप्लाई-चेन से जोड़ना।
निष्कर्ष
उत्तर प्रदेश की यह कहानी सिर्फ एक आर्थिक विकास गाथा नहीं है, बल्कि किसानों, उद्यमियों और युवाओं की साझा सफलता की मिसाल बनी हुई है।राज्य सरकार की औद्योगिक नीतियों ने यह साबित कर दिया है कि अगर सही दृष्टिकोण और योजना बनाई जाए तो कोई भी कृषि प्रधान राज्य उद्योगों का गढ़ बन सकता है।
अब यूपी सिर्फ “भारत का दिल” नहीं, बल्कि “भारत का फूड इंजन” बन चुका है -
उत्तर प्रदेह जहां खेतों से लेकर फैक्ट्रियों तक विकास की नई रोशनी फैल चुकी है।



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