
जैसे --
1. प्रवेश शुल्क और नामांकन फीस
- अधिकांश प्राइवेट कॉलेजों का मुख्य स्रोत - एडमिशन फीस और प्रवेश शुल्क।
- उदाहरण के लिए, कुछ कॉलेजों में प्रवेश के लिए लाखों रुपये तक फीस ली जा रही है।
- इसके अलावा, कई कॉलेजो में अतिरिक्त फीस, जैसे लैब, लाइब्रेरी, या कॉलेज गतिविधियों के लिए, अलग से ली जा रही है।
2. कोर्स और डिग्री की उच्च कीमत
- Engineering, MBA, Law, मेडिकल और Private Diploma Courses जैसी डिग्री वाले कोर्स में बहुत अधिक शुल्क होता है।
- अक्सर ये कोर्स “प्रॉफिट बेस्ड” होते हैं, यानि के कॉलेज इसे कमाई का माध्यम मानते हैं, लेकिन ये पढ़ाई का मुख्य उद्देश्य नहीं।
- उदाहरण: कुछ प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों में कॉर्स फीस 50 लाख रुपये तक हो सकती है।
3. डमी और नकली कोर्सेस
- कॉलेज ऐसे कोर्स पेश करना जिनकी कोई वास्तविक मान्यता या रोजगार में उपयोगिता ही नहीं होती, लेकिन इनके लिए छात्र से भारी शुल्क लिया जा रहा है।
- इनका मुख्य उद्देश्य यह होता है की कम समय में अधिक पैसे कमाना, न कि उच्च गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देना।
4. कैम्पस गतिविधियों और सामग्री बिक्री
- कई कॉलेजों में छात्रों से सिलेबस, किताबें, नोट्स और लैब सामग्री के लिए अतिरिक्त शुल्क लेना।
- इसके अलावा, कॉलेजों की कैंटीन, हॉस्टल और अन्य सुविधाओं से भी प्रॉफिट कमाया जा रहा है।
5. कॉर्पोरेट और स्पॉन्सरशिप आधारित कमाई
- कुछ प्राइवेट कॉलेज कॉर्पोरेट ट्रेनिंग और स्पॉन्सरशिप प्रोग्राम के नाम पर पैसा लूटते हैं।
- उदाहरण: “इंटर्नशिप प्लेसमेंट पैकेज” के नाम पर छात्रों से अतिरिक्त फीस ली लेना।
6. फीस स्ट्रक्चर में लुकाछिपी
- बहुत बार तो कॉलेज फीस की पूरी जानकारी देते ही नहीं छुपाते हैं, यानी एडमिशन के समय मूल फीस कम दिखाते हैं, लेकिन बाद में सभी तरह के अतिरिक्त शुल्क लगाकर अधिक पैसे वसूलते हैं।
7. मार्केटिंग और प्रचार
- प्राइवेट कॉलेज अक्सर यह प्रचार करते हैं कि उनके पास अच्छी और बेहतर रोजगार अवसर और इंटर्नशिप हैं, ताकि छात्र अधिक फीस देने के लिए भी तैयार हो जाएँ।
- अधिकांश कॉलेजों में रोजगार के अवसर सीमित होते हैं।
8. सरकारी मान्यता और नियमित निरीक्षण की कमी
- कुछ कॉलेज सरकारी नियमों और मान्यता का पालन बिलकुल भी नहीं करते।
- इसका फायदा उन्हें ज्यादा फीस लेने व शिक्षा की गुणवत्ता में कटौती करने के रूप में मिलता है।
9. कॉलेजों में व्यापार की तरह शिक्षा को चलाना
- प्राइवेट कॉलेज के लिए शिक्षा केवल एक व्यवसाय साधन बन गई है।
- छात्र केवल “ग्राहक” बन जाते हैं, और शिक्षा का उद्देश्य लाभ कमाना हो जाता है।
- इस वजह से कई छात्र शिक्षा के बजाय केवल डिग्री खरीदते हैं।
निष्कर्ष
- आज के समय में, कई प्राइवेट कॉलेज शिक्षा के नाम पर व्यवसाय चला रहे हैं।
- जैसे एडमिशन फीस, अतिरिक्त शुल्क, डमी कोर्स और स्पॉन्सरशिप के माध्यम से पैसा कमाते हैं।
- शिक्षा का मुख्य उद्देश्य ज्ञान देना और रोजगार सुनिश्चित करना होना चाहिए, लेकिन कई बार यह पीछे छूट जाता है पैसा कमाने के चक्कर में।
- छात्रों और अभिभावकों को कॉलेज की मान्यता, फीस स्ट्रक्चर और प्लेसमेंट रिकॉर्ड अच्छे से चेक करना चाहिए, ताकि शिक्षा व्यवसाय के चकत्ते में फँस न जाए।


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