
उत्तर प्रदेश सरकार ने हाल ही में आवारा कुत्तों से संबंधित नए और सख्त नियम लागू किए गए हैं। इस कानून का उद्देश्य जनसुरक्षा बढ़ाना, पशु कल्याण के साथ साथ सामाजिक जिम्मेदारी सुनिश्चित करना है। राज्य में आवारा कुत्तों की बढ़ती आवादी ने शहरों और कस्बों में कई तरह की समस्याएं बढ़ा दी हैं - जैसे काटने की घटनाओं में वृद्धि, संक्रमण का खतरा और बच्चों और बुजुर्गों और बच्चो के लिए बढ़ा जोखिम।
इस नियम की मुख्य बातें
1. दो बार काटने वाले कुत्तों की अब आज़ादी खत्म:
- यदि कोई आवारा कुत्ता किसी इंसान को बिना किसी कारण के दो बार काटता है, तो उसे lifelong confinement यानि के आज़ादी से वंचित कर दिया जाएगा।
- इस से पहले यह नियम केवल गंभीर आक्रामक मामलों में लागू होता था, लेकिन अब इसे सख्ती से लागू किया जाएगा।
2. पहली घटना पर निगरानी और उपचार:
- यदि कोई कुत्ता पहली बार काटता है, तो उसे 10 दिन की निगरानी अवधि में देखा जाएगा।
- इस दौरान कुत्ते का रैबीज़ टेस्ट, स्वास्थ्य जांच व microchipping किया जाएगा।
3. पुनर्वास और कैम्प:
- पशु कल्याण बोर्ड निर्देश के तहत, ऐसे कुत्तों को सुरक्षित rehabilitation center में रखा जाएगा।
- कुत्तों को sterilization, vaccination और observation के बाद ही उनको दोबारा छोड़ा जाएगा।
4. सार्वजनिक जागरूकता:
- स्थानीय प्रशासन और नगर निगम के द्वारा citizen awareness programs चलाए जाएंगे।
- लोगों को सिखाया जाएगा कि आवारा कुत्तों से कैसे सुरक्षित दूरी बनाए और काटने की घटनाओं की रिपोर्ट कैसे करें।
जनसुरक्षा और समाज पर असर
उत्तर प्रदेश के शहरों में आवारा कुत्तों की बढ़ती आवादी ने सड़क दुर्घटनाओं, बच्चों और बुजुर्गो पर हमला और संक्रमण के मामलों को बढ़ाया है।- विशेष रूप से स्कूल जाने वाले बच्चों और बुजुर्गों के लिए यह खतरा गंभीर हो गया है।
- इस नए नियम के लागू होने से लोगों को आत्मविश्वास मिलेगा कि प्रशासन उनके सुरक्षा को प्राथमिकता दी है।
- नगर निगम अब पेट्रॉल और अवेयरनेस कैंपस के माध्यम से लोगों को सही तरीके से जानकारी देगा।
पशु कल्याण की दृष्टि से कदम
लोगों का मानना है कि आवारा कुत्तों को केवल मारने या निष्प्राण करने से समस्या हल नहीं होती। इसलिए नियम में rehabilitation और vaccination को प्राथमिकता दी गई है।- कुत्तों को sterilization और microchipping के बाद ही दोबारा छोड़ा जाएगा, जिससे उनकी संख्या नियंत्रित रहेगी।
- यह नियम समाधान पर आधारित है, न कि केवल तात्कालिक सख्ती पर।
- NGOs और पशु कल्याण संगठन इस प्रक्रिया में प्रशासन के साथ सहयोग दे रहे हैं।
कानूनी और सामाजिक बहस
इस नियम के लागू होने से कई बहसें भी शुरू हुई हैं।- एक तरफ जनता का कहना है के सख्त कानून से बच्चों और बुजुर्गों की सुरक्षा बढ़ेगी।
- दूसरी तरफ, पशु अधिकार कार्यकर्ताओं का कहना है के सुरक्षा और पशु कल्याण में संतुलन बनाना भी जरूरी है।
- प्रशासन ने इस पर स्पष्ट किया है के नियम का उद्देश्य कुत्तों की अनावश्यक हानि पहुँचाना बिलकुल नहीं, बल्कि जिम्मेदार प्रबंधन है।
शिक्षा और जागरूकता अभियान
उत्तर प्रदेश सरकार ने नगर निगमों और पुलिस विभागों के माध्यम से जागरूकता अभियान चलाए गए हैं।- स्कूलों में बच्चों को stray dog safety rules पढ़ाए जा रहे हैं।
- लोगों को बताया जा रहा है कि कुत्तों को भोजन देने, छेड़ने या उकसाने से बचें।
- मोबाइल एप और हेल्पलाइन नंबर भी जारी किए गए, ताकि काटने की घटना की तुरंत रिपोर्ट कि जा सके।
भविष्य में प्रभाव
- आने के समय में इस नए नियम लागू होने से शहरों और कस्बों में कुत्तों के काटने की घटनाओं में गिरावट आएगी।
- सार्वजनिक स्थानों की सुरक्षा बढ़ेगी और लोग खुले में रहने और बच्चों को खेलने के लिए सुरक्षित महसूस करेंगे।
- पशु आवादी पर नियंत्रण और स्वास्थ्य सुविधाओं की उपलब्धता से रैबीज़ और अन्य संक्रमणों की संभावना घटेगी।
निष्कर्ष
“दो बार काटा तो अब आज़ादी खत्म” इस नीति से उत्तर प्रदेश की जनसुरक्षा और पशु कल्याण में संतुलित कदम है।यह कानून ये संदेश देता है के सुरक्षा किसी भी नागरिक का मूल अधिकार है, और इसके साथ-साथ पशु कल्याण की दिशा में भी कदम उठाए गए हैं।
इस नए नियम और जागरूकता अभियान से राज्य में ना केवल सुरक्षा बढ़ेगी, बल्कि नागरिकों और पशुओं दोनों की भलाई सुनिश्चित होगी।
उत्तर प्रदेश की ये पहल अन्य राज्यों के लिए भी एक मिसाल भी बन सकती है - जहां कानून, सुरक्षा और पशु कल्याण का संतुलित दृष्टिकोण अपनाया गया हो।


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