
K2-18b क्या है?
K2-18b एक एक्सोप्लैनेट है यानी ऐसा ग्रह जो हमारे सौर मंडल से बाहर है।
इसकी खोज 2015 में नासा के केपलर स्पेस टेलीस्कोप द्वारा की गई थी।
यह हमसे लगभग 120 प्रकाश वर्ष दूर सिंह (Leo) तारामंडल में स्थित है।
यह ग्रह पृथ्वी से 2.6 गुना बड़ा और लगभग 8 गुना भारी है।
यह अपने तारे K2-18 (एक लाल बौना तारा) की परिक्रमा करता है।
K2-18b की खासियतें
1. रहने योग्य क्षेत्र
K2-18b अपने तारे से ऐसी दूरी पर है, जहाँ तापमान अनुकूल हो सकता है और सतह पर तरल पानी मौजूद रह सकता है।2. वायुमंडल में पानी
2019 में वैज्ञानिकों ने इसके वायुमंडल में जल-वाष्प (Water Vapour) के संकेत खोजे थे। यह किसी “सुपर-अर्थ” ग्रह पर पानी का पहला प्रमाण था।3. हाइड्रोजन और हीलियम का वातावरण
इसके वातावरण में हाइड्रोजन और हीलियम प्रमुख रूप से पाए जाते हैं। साथ ही इसमें मीथेन और कार्बन डाइऑक्साइड जैसी गैसों की संभावना भी है।4. Hycean World Hypothesis
वैज्ञानिक मानते हैं कि K2-18b एक Hycean Planet हो सकता है – यानी ऐसा ग्रह जो महासागरों से ढका हो और जिसके ऊपर हाइड्रोजन-प्रधान वातावरण हो।जीवन की संभावना
2023 में James Webb Space Telescope (JWST) ने K2-18b का गहन अध्ययन किया। इसमें डाइमिथाइल सल्फ़ाइड (DMS) नामक अणु के संकेत मिले।पृथ्वी पर यह गैस लगभग पूरी तरह समुद्री जीवों द्वारा उत्पन्न होती है। इसका मतलब यह है कि K2-18b पर जीवन की संभावना को नकारा नहीं जा सकता।
चुनौतियाँ
- यह ग्रह पृथ्वी से बहुत बड़ा है, जिससे इसकी वास्तविक सतह को समझना मुश्किल है।
- संभव है कि इसमें ठोस जमीन न हो और यह केवल महासागरों और बादलों से ढका हो।
- इसका तारा (लाल बौना) कभी-कभी तीव्र विकिरण छोड़ता है, जो जीवन के लिए हानिकारक हो सकता है।
निष्कर्ष
K2-18b अब तक का सबसे रोमांचक एक्सोप्लैनेट माना जाता है। इसमें पानी, संभावित बायोलॉजिकल अणु और रहने योग्य क्षेत्र तीनों मौजूद हैं।भविष्य में यदि कहीं परग्रही जीवन की खोज होती है तो निश्चित ही K2-18b सबसे आगे रहने वाला उम्मीदवार होगा।
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